महिलाओं के मामले में फिसलती कमलनाथ की जुबान

सौजन्य लेख :: विजया पाठक,भोपाल ।


      मध्यप्रदेश के इस उपचुनाव में एक बार फिर भाषाई मर्यादा तार-तार हो गई। कमलनाथ जैसे सीनियर लीडर भी जुबां पर काबू नहीं रख पाये और प्रदेश की मंत्री इमरती देवी के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया। हालांकि यह पहला मामला नहीं है जब कमलनाथ महिलाओं के मामले में फिसले हैं। इससे पहले भी हमने कमलनाथ की दिलफेक और रंगीन मिजाज की तस्‍वीरें और बयान पढ़े हैं। जब वे प्रदेश के मुख्‍यमंत्री थे और आईफा अवार्ड की तैयारी को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उस समय अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज की कमर में हाथ डालने वाली कमलनाथ की एक फोटो खूब चर्चित रही थी। मतलब साफ है कि कमलनाथ उम्र के सात दशक पार करने के बाद आशिक मिजाजी में मशगूल हैं। उनमें महिलाओं के लिए कोई सम्‍मान और मर्यादाएं नहीं हैं। कमलनाथ की मिजाजी का एक वाक्‍या आज भी लोगों को याद है। कमलनाथ केंद्र में जब राज्‍यमंत्री थे और विदेशी प्रवास से जब वह लौटे तो नई दिल्‍ली हवाई अडडे पर वह अपने साथ जो सामग्री लाये थे उसकी एवज में उन्‍होंने सवा लाख रूपये का जुर्माना भरा था। उस सामग्री का आज खुलासा हो जाए तो भूचाल आ जाएगा। उस सामग्री में ऐसी अश्‍लील सामग्री थी जिसका हम जिक्र भी नही कर सकते हैं। हाल का मामला रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने डबरा में शिवराज सरकार में मंत्री इमरती देवी को आइटम कहकर संबोधित किया। कमलनाथ ने कहा- हमारे राजे (कांग्रेस प्रत्याशी) तो सीधे-साधे और सरल हैं। ये उसके जैसे नहीं हैं। मैं क्यों उसका नाम लूं। इतने में लोग बोले- इमरती देवी। इस पर हंसते हुए नाथ बोले- आप लोग मेरे से ज्यादा उसको पहचानते हैं। आप लोगों को तो मुझे पहले ही सावधान कर देना चाहिए था। वह क्या आइटम है। पूर्व मुख्यमंत्री के भाषण का यह वीडियो अब वायरल हो गया है। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने भी तुरंत ट्वीट कर कांग्रेस पर निशाना साधा। कमलनाथ जी! इमरती देवी उस गरीब किसान की बेटी का नाम है जिसने गाँव में मजदूरी करने से शुरुआत की और आज जनसेवक के रूप में राष्ट्र निर्माण में सहयोग दे रही हैं। कांग्रेस ने मुझे ‘भूखा-नंगा’ कहा और एक महिला के लिए आपने ‘आइटम’ जैसे शब्द का उपयोग कर अपनी सामंतवादी सोच फिर उजागर कर दी। अब सवाल उठते हैं कि क्या अपनी खुन्‍नस मिटाने के लिए नेता किसी भी हद तक चले जाएंगे। क्या इतना भी ध्यान नहीं रखा जाएगा कि हम एक महिला के लिए किन शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। आखिर कमलनाथ को एक महिला को इतने अपमान वाले शब्‍द का उपयोग की जरूरत क्‍यों पड़ी। क्‍या वह सरकार गिरने की खुन्‍नस ऐसे शब्‍दों का इस्‍तेमाल कर निकाल रहे हैं। निश्चित तौर पर उन्‍हें अपनी सरकार गिरने की टीस तो है। जब ही तो उन्‍होंने एक महिला मंत्री के विषय में ऐसी अभद्र भाषा का इस्‍तेमाल किया। बीजेपी ने भी लगे हाथ इमरती देवी के अपमान पर सीधे चुनाव आयोग में शिकायत की और कमलनाथ के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली। भाजपा सांसद और वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ की टिप्पणी पर रोष प्रकट करते हुए कहा है कि एक गरीब और मजदूर परिवार से आगे आईं दलित नेता इमरती देवी जी को आइटम और जलेबी कहना अत्यंत निंदनीय और आपत्तिजनक है। सिंधिया ने कहा कि कमलनाथ की यह टिप्पणी महिलाओं और दलितों के प्रति उनकी मानसिकता को भी दर्शाती है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, इंदौर में ज्योतिरादित्य सिंधिया और ग्वालियर में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा, वरिष्ठ नेता प्रभात झा, जयभान सिंह पवैया, मंत्री तुलसी सिलावट सहित कई विधायक और बीजेपी कार्यकर्ता धरने पर बैठे। बयान को लेकर पूरे प्रदेश में बवाल मचा हुआ है और भाजपा ने इसको अब चुनावी मुद्दा बना लिया है। बीजेपी ने इसे अब आधी आबादी यानी महिलाओं के स्वाभिमान और सम्मान से जोड़ दिया है। क्या कांग्रेस सोची समझी रणनीति के तहत आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली इमरती देवी और उम्मीदवारों का मजाक उड़ाकर मतदाताओं में उन्हें निकृष्ट निकम्मा साबित कर जनता की अदालत में आक्रोश पैदा कर रहे थे।


      जिस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी एक महिला है और राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर प्रियंका गांधी सबसे बड़ा चेहरा बनकर उत्तर प्रदेश में संघर्ष कर रही है, जो लगातार नारी के स्वाभिमान और उनकी रक्षा को लेकर सड़क की लड़ाई लड़ रही। आखिर उस कांग्रेस के मध्यप्रदेश से जुड़े नेताओं के बयान क्या राष्ट्रीय नेतृत्व को रास आएंगे। बदलती सियासी परिदृश्य में सवाल तो खड़ा हो चुका है। क्योंकि ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है अभी तक जिन नेताओं के विवादित बयानों पर संग्राम छिड़ा। क्या उन्हें कमलनाथ का वरदाहस्त प्राप्त था। कह सकते हैं कि जब सत्ता बचाने के लिए भाजपा को बहुमत के लिए सिर्फ 9 सीट पर जीत जरूरी और कांग्रेस के लिए लगभग सभी सीटों पर भाजपा की हार सुनिश्चित करना जरूरी है। तब कांग्रेस अपनी जीत से ज्यादा भाजपा की रणनीति बिगाड़ने में आगे बढ़ रही है। कांग्रेस प्रचार में मूल मुद्दों से अलग होकर आरोप-प्रत्यारोप के बीच खुद को बेहतर साबित करने की होड़ में लगी है। कांग्रेस नेता जनता के हित से जुड़े मुद्दे और मीडिया का ध्यान खींचने के साथ जनता को अपनी अहमियत का एहसास दिलाने के लिए अनर्गल बयानबाजी पर उतर आए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उनके कैबिनेट के सहयोगी रहे पूर्व मंत्री और दूसरे अहम नेता फूहड़ बयान बाजी को जानबूझकर हवा दे रहे.. क्या कांग्रेस सिर्फ चुनाव में सुर्खियां बटोरने और मीडिया की हेडलाइन बनाने के लिए यह सब कुछ कर रही है या फिर यह उसकी कुछ सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। जिसके तहत वह क्षेत्र के मतदाताओं को कांग्रेस के बागी उम्मीदवारों को गंभीरता से नहीं लेने का संदेश दे रही है। सिर्फ चौक चौराहे की नुक्कड़ सभाओं और बंद कमरे की बैठक में कांग्रेस के अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने के लिए क्‍या उन्‍हें ऐसे बयानों की जरूरत है।


      ऐसा भी नहीं है कि बीजेपी के नेता बयानबाजी नही कर रहे हैं। निश्चित रूप से कर रहे हैं। लेकिन उनकी बयानबाजी में शालीनता है, महिलाओं के प्रति मर्यादाएं हैं, व्‍यक्तिगत आक्षेप नही हैं। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी प्रतिदिन दर्जनों सभाएं कर रहे हैं। रैलियां कर रहे हैं। वे कांग्रेस सरकार की नाकामियों को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं न कि किसी व्‍यक्ति विशेष पर टिप्‍पणी कर रहे हैं। सभी पाटियां चुनाव लड़ती हैं। हारती भी हैं और जीतती भी हैं। आरोप-प्रत्‍यारोप भी लगाती हैं। लेकिन क्‍या वह जीतने के लिए अपनी मर्यादाएं भी भूल जाती हैं। किसी का मान-सम्‍मान मायने नही रखता। निश्चित तौर पर ऐसे फूहड़ बयानबाजी से नेता तो बदनाम होते ही है। साथ ही पार्टियों की भी छबि खराब होती है। ऐसे बदनाम नेताओं को अपनी पार्टी की छबि का ख्‍याल जरूर रखना चाहिए। व्‍यक्तिगत लाभ के लिए नेता पार्टी को दांव पर नही लगा सकते। फूहड़ और गैर जिम्‍मेदाराना बयानों से तत्‍कालीन प्रसिद्धि तो मिल जाती है लेकिन आमजनों की सोच पर फर्क नही पड़ता है।