काहे को रोना जो मॉस्क लग

प्रदीप शर्मा, हरदा।

 लाॅकडाउन के दौरान लंबे समय तक ग्रीन ज़ोन में रहे हरदावासी तब अपने हाथों से स्वयं को शाबासी देने से नहीं चूक रहे थे कि देखो हम लोग कितने जागरूक और एहतियात बरतने वाले हैं कि यहां कोविड :19 आज तक नहीं फटका। तब भटपुरा में मिले एक केस को लोगयह कहने लगे कि यह चांद के चेहरे पर लगा दाग है। खैर यह दाग भी जल्द ही धुल गया और जिले का आवाम फिर से रवानी पर गया। कुछ दिनो तक तो सब ठीक-ठाक चला मगर लाॅकडाउन हटने के बाद न जाने किसकी नज़र लगी कि अब रोजाना एकाध दर्जन पाजिटिव कोविड पैशेंट मिलना यहां के रूटीन बन गया है।

जिले की स्वस्थ फिजा को तब हाय लगी जब पहली बार एक राष्ट्रीय बैंक की हरदा शाखा में कोरोना की बोनी हुई और धीरे-धीरे खेड़ीपुरा, मानपुरा होकर यह सारे शहर में फैल गया। तब हम लोग यह मानकर चल रहे थे कि अभी यह रोग शहर को ही लगा है। मगर आज हालत यह है कि यह जिला मुख्यालय से होकर तहसील मुख्यालयों से अब गांव-गांव जा पहुंचा, जो सर्वाधिक चिंताजनक बात है।

शहर में लापरवाही , गांवों में अनदेखी 

दरअसल यह बीमारी जिस तरह बढ़ रही है वह इसलिए हमें फिक्रमंद बना रही है कि पिछले तीन चार महीनों में भी हम इस बीमारी संक्रमण के बीच बचकर रहना नहीं सीख पाए। मुझे बीते दिनों कुछ गांवों का दौरा करने का मौका मिला है। वहां यह देखने को मिला कि बीमार मिलने के बावजूद वायरस से बचने के लिए लोग मास्क नहीं लगा रहे। इधर शहर की चर्चा करना तो और भी गैरमुनासिब है। वह इसलिए कि यहां के लोग मास्क तो लगा रहे पर वायरस से बचने नहीं, पुलिस से बचने। रोज आधा पौन दर्जन शहर में कोरोना पाजिटिव मिलने के बावजूद लोग ढंग से मास्क नहीं लगाते।अधिकतर लोग के मुंह पर लगा मास्क उनकी दाड़ी को ही ढंक पाता है। अलबत्ता यह अलग बात है कि कहीं चैकिंग हो रही हो तो जरूर इसे पूरे मुंह-नाक तक ढांके लोग मिल जाएंगे जो कुछ दूर जाने के बाद इसे हटा भी लेते हैं।


अन्य हिदायत भी ठेंगे पर


  चलिए मास्क की अनदेखी तो हो ही रही है वहीं अन्य हिदायतों के क्या हाल है जानना जरूरी है। अब हरदा जिला जो कि धीरे-धीरे बड़ा हाट सेंटर बनता दिखाई दे रहा है वहां कोरोना गाइडलाइन की धज्जी भी खूब उड़ रही है। बाहर से घर आने पर हाथ धोना या सैनेटाईज करना लोग भूल गए। यह चलन केवल कुछ दफ्तरों तक ही सिमटकर रह गया है। 

बाहर की सामग्री - 

  घरों में दैनिक उपयोग के लिए लाई जाने वाली सामग्री को साफ व सैनेटाईज करना आवश्यक है। एटीएम जाने पर और इससे बाहर निकलने पर सैनेटाईज करने बाद ही अपने मुंह पर हाथ लगाने का कितने लोग पालन कर रहे हैं। सिर्फ एटीएम ही क्यों यह सतर्कता तो अपने घर के बाहर निकलने के बाद हर घड़ी जरूरी है। यहां बाजार में दुकानों पर लगती भीड़, राजनीतिक दलों के आयोजन में सोशल डिस्टेसिंग को लगता पलीता और धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रमों के लिए बनते दबाव से लगता है कि अभी लोगों को इस महामारी के बीच जीना नहीं आया। आने वाले समय में सरकार द्वारा कई गतिविधियों में ढील देकर जनजीवन को पटरी पर लाया जाना है। मगर उससे पूर्व लोगों को गाइडलाइन का पाठ कर इसके पालन का सबक लेना चाहिए कई गतिविधियों में ढील देकर जनजीवन को पटरी पर लाया जाना है। मगर उससे पूर्व लोगों को गाइडलाइन का पाठ कर इसके पालन का सबक लेना चाहिए अन्यथा व्यवस्था का कबाड़ा होते देर नहीं लगेगी। कबाड़ा होते देर नहीं लगेगी। 


 यह देखा गया है कि लोग इधर-उधर की सामग्री पर व्यर्थ हाथ लगाने से नहीं चूक रहे। यदि आज के परिवेश में हमने सावधानी नहीं बरती और गाइडलाइन की इसी तरह अनदेखी की तो यह जिला निकट समय में बड़ा हाटस्पाट बनने की संभावनाएं समेटे हुए है।