कागज के शेर बहुत मिलेंगे सोशल साइट्स पर

जन्मभूमि स्वार्गादपि गरीयसी


   मगर जन्मभूमि की सेवा और रक्षा के लिए आज कितने तैयार हैं। गर यह सवाल किया जाए तो पूरी महफिल खाली हो जाएगी। कोई भी आगे नहीं आएगा सेवा और रक्षा के नाम पर।


   सत्य के प्रचार के तो सब हामी हैं मगर जब बात हो कर्म करने की तो एक भी बंदा सामने नहीं आता। यानी भगतसिंह तो पैदा हो मगर पड़ौस में।


   यह सवाल और विचार इसलिए कि आज के दिनों में स्मार्ट फोन आने से हर कोई *कापी पेस्ट* करके जागरूक व ज्ञानी बन गया है।


   इनसे जब सीधे सवाल करें तो ये सब निरे खोखले मिलेंगे। मेरा भी सोशल मीडिया पर बने अनेक ऐसे कागजी शेरों से सामना हुआ है। इससे मैं अब यह निष्कर्ष निकालने को बाध्य हूं कि इनके सात चर्चा करना कीमती समय की बर्बादी है।